Текст песни
जिसका कभी था ज़िक्र सा, मैंने वो सुबह देख ली
जिसका मिलना था कुफ़्र सा, मैंने वो सुबह देख ली
हर पल चलते ये इस शहर में, सोता नहीं किसी पहर मैं
जिसका सजदा है शुक्र सा, हाँ, मैंने वो सुबह देख ली
देख ली, देख ली, वो सुबह देख ली
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